Success kaise milti hai

   यह बड़ा ही गहरा विषय है और इसे गहराई से समझना पड़ेगा, क्युकी अगर आप इसके गहराई तक नहीं उतरोगे तो आप इसे समझ ही नहीं पाओगे। यह कोई एक दिन की बात नहीं होती...सालों लग जाते हैं इसे समझने में।    आप जो भी काम कर रहे है उसमें में महारत हासिल कर लेते हैं और उसे दुसरो से बेहतर करते हो, समझो बस यही आपकी success   है। एक सौ मिटर की दौड है, उसमें दौडने दस लोग हैं। सभी अच्छा दौड़ते हैं, तो फिर जीतेगा कौन..... सीधी सी बात है, जो बाकी नौ लोगों में बेहतर होगा वहीं जीतेगा। हम अक्सर success के पिछे भागते रहते हैं और success हमें अपने पिछे भगाती है, पर ये सब करने की बजाय हम खुद पर अगर ध्यान दें, खुद को बेहतर बनाने में मेहनत करें तो चीजें बतलती जायेंगी। Success उसके पिछे भागने वाले को नहीं बल्की खुद को साबित करने वालों को मिलती है।     आप जो भी काम करो उसमें खुद को ढाल लो, उसे इतना करो की जब भी आप मैदान में उतरो की कभी आपको पिछे देखना  ना पड़े। सफलता खुद आपको चुन लेगी। काम कोई भी हो आप अगर उसे दुसरो से बेहतर कर सकते हो मतलब आप उस काम में दुसरो के मुकाबले सफ...

मन क्या है

 

मन एक मानसिक अवस्था है जो विचारों, भावनाओं, इच्छाओं, और अनुभवों को नियंत्रित करता है। यह हमारे चेतन और अचेतन दोनों पहलुओं का सम्मिलन है, जो हमारे व्यवहार, निर्णय, और प्रतिक्रियाओं को प्रभावित करते हैं। मन हमारे शरीर के किसी विशेष अंग से जुड़ा हुआ नहीं है, बल्कि यह एक मानसिक या मानसिक-आध्यात्मिक अवस्था है, जो हमें अनुभव करने, सोचने, समझने और महसूस करने की क्षमता प्रदान करती है।

मन को कई अलग-अलग तरीकों से देखा जा सकता है - एक बौद्धिक उपकरण, भावनाओं का स्रोत, या आत्मिक और मानसिक संतुलन की स्थिति। इसके द्वारा हम अपने आसपास की दुनिया को समझने की कोशिश करते हैं और अपनी भावनाओं, चिंताओं और विचारों को अनुभव करते हैं।

मन का स्वभाव

न का स्वभाव बहुत ही जटिल और परिवर्तनशील होता है। यह किसी एक निश्चित रूप में नहीं रहता, बल्कि यह समय-समय पर बदलता रहता है। मन के स्वभाव को निम्नलिखित पहलुओं से समझा जा सकता है:

  1. चंचलता (Instability): मन का स्वभाव चंचल होता है, यानी यह एक जगह नहीं ठहरता। यह एक विचार से दूसरे विचार की ओर भागता रहता है, और यह कभी शांत नहीं रहता।

  2. भावनाओं का उतार-चढ़ाव (Emotional fluctuation): मन में विभिन्न प्रकार की भावनाएं उठती रहती हैं - जैसे खुशी, दुःख, क्रोध, भय, आदि। यह भावनाओं का उतार-चढ़ाव मन के स्वभाव का हिस्सा है।

  3. विचारों का निरंतर आना (Continuous thinking): मन में लगातार विचारों की धारा बहती रहती है। हम जो देखते हैं, सुनते हैं, या महसूस करते हैं, वे विचारों का रूप लेते हैं।

  4. इच्छाएं और संकल्प (Desires and resolutions): मन में इच्छाएं और संकल्प उठते रहते हैं, जो हमारे कार्यों को दिशा देते हैं। यह इच्छाएं सुख की प्राप्ति और दुःख से बचने के लिए होती हैं।

  5. अवस्था की बदलती हुई स्थिति (Changing states): मन का स्वभाव विभिन्न मानसिक और भावनात्मक अवस्थाओं में बदलता रहता है - कभी शांत, कभी अशांत, कभी उत्साहित, कभी निराश।

  6. चिंतन और अवचेतन (Conscious and subconscious): मन के दो मुख्य पहलु होते हैं – चेतन और अवचेतन। चेतन मन वह होता है जो हम वर्तमान में अनुभव करते हैं, जबकि अवचेतन मन वह है जो हमारे गहरे और अज्ञात विचारों और अनुभवों का हिस्सा है।

इस प्रकार, मन का स्वभाव अत्यधिक परिवर्तनशील और जटिल होता है, और यह हमारी मानसिक स्थिति, बाहरी परिस्थितियों, और हमारी सोच के आधार पर बदलता रहता है।

मन की चालाकी 

इसे एक बहुत ही जटिल और लचीला तत्व बनाती है। यह कई बार हमारे आत्म-संरक्षण, इच्छाओं, और आदतों के चलते चालाक हो सकता है, ताकि वह हमें अपनी इच्छाओं की प्राप्ति या किसी परिस्थिति से बाहर निकलने का रास्ता दिखा सके। मन की चालाकी कुछ इस तरह से काम करती है:

  1. स्वार्थी प्रवृत्तियाँ (Self-serving tendencies): मन अपनी इच्छाओं और सुखों को प्राथमिकता देता है। यह अपनी संतुष्टि के लिए कभी-कभी सही या गलत के बीच भेद नहीं करता। कभी यह हमें किसी गलत काम को सही ठहराने की कोशिश करता है, जैसे कि "बस एक बार" या "यह एक जरूरत है" जैसी सोच को जन्म देना।

  2. मनोबल में धोखा (Deception of self): मन अक्सर खुद को धोखा देने में माहिर होता है। उदाहरण के लिए, यह हमें किसी चीज़ को जरूरी बताने के लिए भ्रमित करता है, जबकि वास्तव में वह चीज़ उतनी महत्वपूर्ण नहीं होती। मन के तर्क और सोचने की प्रक्रियाएं कभी-कभी हमें हमारी वास्तविकता से भटकाने का काम करती हैं।

  3. स्वयं को सही ठहराना (Justifying oneself): जब हम कुछ गलत करते हैं, तो मन हमें अपनी गलती को सही ठहराने के बहाने देता है। यह आत्मसंतोष की भावना पैदा करता है, जिससे हम अपनी गलतियों को कम गंभीर मानने लगते हैं।

  4. अवचेतन क्रियाएँ (Unconscious actions): बहुत बार, मन बिना हमारे ज्ञान के काम करता है, जैसे कि अवचेतन रूप से आदतें बनाना या किसी परिस्थिति से बचने के लिए तर्क बनाना। यह हमें अपने वास्तविक इरादों या उद्देश्यों से भ्रमित कर सकता है।

  5. दूसरों की भावनाओं का अनुकरण (Mirroring others' emotions): मन दूसरों की भावनाओं और प्रतिक्रियाओं का अनुकरण करता है, ताकि हम समाज में खुद को फिट कर सकें या अपनी स्थिति को बेहतर बना सकें। यह हमारी असली भावनाओं को छिपाने का एक तरीका हो सकता है।

  6. विपरीत विचारों का निर्माण (Contradictory thoughts): मन कभी-कभी विरोधाभासी विचार उत्पन्न करता है। यह कभी हमें कुछ करने के लिए प्रेरित करता है, फिर उसी कार्य को न करने के हजार कारणों से हमें भ्रमित कर देता है।

इन सभी चालाकियों का उद्देश्य आमतौर पर आत्म-रक्षा, सुख की प्राप्ति या स्थिति को बनाए रखना होता है। मन के इस स्वभाव को समझकर और जागरूक होकर हम अपनी इच्छाओं और विचारों पर नियंत्रण पा सकते हैं, और अधिक संतुलित और सुसंगत तरीके से जीवन जी सकते हैं।

मन सबसे बडा दुश्मन

"मन सबसे बड़ा दुश्मन" यह वाक्य एक गहरी सच्चाई को व्यक्त करता है। हमारा मन ही वह स्रोत है, जो हमें शांति और संतुलन से दूर करता है, जब यह अपने नकारात्मक विचारों, इच्छाओं, और भावनाओं से भरा होता है। हम जिस तरह से अपने मन की भावनाओं और विचारों को नियंत्रित नहीं करते, वही हमें मानसिक शांति और जीवन की सही दिशा से हटा देता है। इस विचार को कुछ महत्वपूर्ण तरीकों से समझा जा सकता है:

  1. अवसाद और चिंता (Depression and anxiety): मन कभी-कभी नकारात्मक विचारों से घिर जाता है, जैसे चिंता, डर और अवसाद। यह हमारी मानसिक स्थिति को बहुत प्रभावित करता है और जीवन में हर छोटी बात को बड़ा संकट बना देता है।

  2. अतिआत्मविश्वास और अहंकार (Overconfidence and ego): मन कभी-कभी हमें अत्यधिक आत्मविश्वास और अहंकार के रास्ते पर भी ले जाता है। हम अपनी सीमाओं को भूल जाते हैं और सोचते हैं कि हम सब कुछ कर सकते हैं, जिससे हम गलत निर्णय लेने लगते हैं और कभी-कभी नुकसान उठाते हैं।

  3. इच्छाओं का पीछा (Pursuit of desires): मन हमेशा अपनी इच्छाओं को पूरा करने के लिए प्रेरित करता है, चाहे वह भौतिक सुख हो या किसी अन्य प्रकार का अधूरा सपना। यह हमें अनंत इच्छाओं का शिकार बना देता है, जिससे हमारी संतुष्टि कभी पूरी नहीं होती।

  4. विरोध और क्रोध (Anger and resistance): मन कभी-कभी गुस्से और विरोध की भावना से भर जाता है। जब कुछ हम चाहते हैं या हमारी उम्मीद के मुताबिक नहीं होता, तो मन नकारात्मक भावनाओं को जन्म देता है, जिससे रिश्ते बिगड़ते हैं और शांति छिन जाती है।

  5. भूतकाल और भविष्य में खो जाना (Dwelling in the past and future): मन अक्सर अतीत की गलतियों पर पछताता है या भविष्य के बारे में चिंता करता है। यह वर्तमान को देखने की बजाय अतीत और भविष्य में खो जाता है, जिससे हम अपनी वर्तमान स्थिति का आनंद नहीं ले पाते और मानसिक तनाव में रहते हैं।

  6. ध्यान की कमी (Lack of focus): मन की चंचलता के कारण हम ध्यान केंद्रित नहीं कर पाते, जिससे हम अपनी जीवन यात्रा में सही दिशा में नहीं बढ़ पाते। इसका परिणाम अव्यवस्था, असफलता, और मानसिक थकान हो सकता है।

इसलिए, जब हम कहते हैं कि "मन सबसे बड़ा दुश्मन है", तो इसका मतलब यह है कि अगर हम अपने मन को समझने और नियंत्रित करने में सक्षम नहीं होते, तो वही हमें हमारे असली उद्देश्य से भटका सकता है। लेकिन यदि हम अपने मन को शांति, संतुलन और जागरूकता के साथ नियंत्रित कर पाते हैं, तो यह हमारे सबसे बड़े सहायक भी बन सकता है।

उचित ध्यान, साधना, और आत्म-निरीक्षण के द्वारा हम अपने मन के चंचल स्वभाव को शांत कर सकते हैं और मानसिक शांति और संतुलन प्राप्त कर सकते हैं।

मन सबसे अच्छा दोस्त

"मन सबसे अच्छा दोस्त" यह विचार तब सच होता है जब हम अपने मन को समझते हैं, उसका सही तरीके से पोषण करते हैं और उसे सकारात्मक दिशा में मार्गदर्शन देते हैं। जब हम अपने मन को संतुलित, जागरूक, और शांत रखते हैं, तो वह हमारे लिए सबसे बड़ा सहायक बन सकता है। इसके कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं को समझा जा सकता है:

  1. आत्म-संयम और आत्म-निर्णय (Self-discipline and self-decision): जब हम अपने मन को नियंत्रित करते हैं, तो हम अपनी इच्छाओं और विचारों को सकारात्मक दिशा में लगा सकते हैं। यह हमें सही निर्णय लेने की क्षमता देता है, जिससे हम अपनी जिंदगी में उद्देश्यपूर्ण और सफल रहते हैं।

  2. मानसिक शांति और संतुलन (Mental peace and balance): जब मन शांत और संतुलित होता है, तो हमें मानसिक शांति मिलती है। इससे हम तनाव, चिंता और अवसाद से बच सकते हैं और अपने जीवन को एक सुखमय तरीके से जी सकते हैं।

  3. सकारात्मक सोच (Positive thinking): जब हमारा मन सकारात्मक विचारों से भरा होता है, तो हम किसी भी समस्या का हल ढूंढने में सक्षम होते हैं। यह हमें समस्याओं को अवसर के रूप में देखने की क्षमता देता है और हमें जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है।

  4. आत्मविश्वास (Self-confidence): मन अगर सही दिशा में चलता है, तो यह हमें आत्मविश्वास देता है। सकारात्मक सोच और आत्म-स्वीकृति से हम अपनी क्षमताओं पर विश्वास करते हैं, जिससे हम किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए तैयार रहते हैं।

  5. समझ और सहानुभूति (Understanding and empathy): जब हम अपने मन को समझते हैं, तो हम दूसरों के प्रति भी सहानुभूति और समझ विकसित करते हैं। यह हमें रिश्तों को बेहतर बनाने और दूसरों के साथ सामंजस्यपूर्ण जीवन जीने में मदद करता है।

  6. प्रेरणा और उद्देश्य (Motivation and purpose): हमारा मन हमें जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है। जब हम अपने मन की आवाज़ को सुनते हैं, तो हम अपने जीवन का उद्देश्य समझ सकते हैं और उस पर काम कर सकते हैं। यह हमें अपनी यात्रा में सही दिशा में चलने का साहस देता है।

इस प्रकार, जब मन हमारे नियंत्रण में होता है, तो वह हमारे सबसे अच्छे दोस्त की तरह काम करता है, जो हमें सफलता, शांति, संतुलन, और उद्देश्यपूर्ण जीवन जीने की प्रेरणा देता है।


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