Success kaise milti hai

   यह बड़ा ही गहरा विषय है और इसे गहराई से समझना पड़ेगा, क्युकी अगर आप इसके गहराई तक नहीं उतरोगे तो आप इसे समझ ही नहीं पाओगे। यह कोई एक दिन की बात नहीं होती...सालों लग जाते हैं इसे समझने में।    आप जो भी काम कर रहे है उसमें में महारत हासिल कर लेते हैं और उसे दुसरो से बेहतर करते हो, समझो बस यही आपकी success   है। एक सौ मिटर की दौड है, उसमें दौडने दस लोग हैं। सभी अच्छा दौड़ते हैं, तो फिर जीतेगा कौन..... सीधी सी बात है, जो बाकी नौ लोगों में बेहतर होगा वहीं जीतेगा। हम अक्सर success के पिछे भागते रहते हैं और success हमें अपने पिछे भगाती है, पर ये सब करने की बजाय हम खुद पर अगर ध्यान दें, खुद को बेहतर बनाने में मेहनत करें तो चीजें बतलती जायेंगी। Success उसके पिछे भागने वाले को नहीं बल्की खुद को साबित करने वालों को मिलती है।     आप जो भी काम करो उसमें खुद को ढाल लो, उसे इतना करो की जब भी आप मैदान में उतरो की कभी आपको पिछे देखना  ना पड़े। सफलता खुद आपको चुन लेगी। काम कोई भी हो आप अगर उसे दुसरो से बेहतर कर सकते हो मतलब आप उस काम में दुसरो के मुकाबले सफ...

युनीव्हर्स हम से बात करता है

 युनिव्हर्स हमपे नजर रख रहा है

यह सच है युनिव्हर्स हमपे लगातार नजर खरे हुवे है । उसने हमे बनाया और हमारे अंदर वह सारी चीजे दी जिससे की हम अपनी जिंदगी अच्छेसे जी सके  और फीर हमे इस दुनीया में छोड दिया। अब वह देखना चाहता है की हम क्या करते है, विपरीत परिस्थीयो में कीस तरीके से बर्ताव करते है । वह जानना चाहता है । उसने हमे जो भी दिया उसका इस्तेमाल  हम किसी तरीके से करते हैं । वास्तव में कुछ ही लोग होते जो यह सब समझ पाते।और वह बडे जिद्दी किसम के होते है। वह कभी हार नहीं मानते नाही परिस्थितीयो के सामने झुकते है। उन्हे बस जो  करना होता वह कर देते है। युनिव्हर्स को ऐसे लोग बहोत पसंद होते  है क्युकी वे बहाने नहीं बनाते । इनके पास गजब की क्षमता होती है चीजो को समझने की।  

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सब हमारी सोच पर निर्भर हैं 

युनिव्हर्स हमे वही देता जैसी हमारी सोच होती। अगर सोच ही अच्छी नहीं तो युनिव्हर्स हमे अच्छा नहीं देगा। वह हमे वही देता है जो हमारे मन में होता और यनिव्हर्स हम से मनसेही तो बात करता है। हमारे मन में कितनी सारी भावनाये उठती है। लोभ, क्रोध, वासना, अहंकार...जब भी मन में यह सारी भावनाये उठती है यह और जादा बढ जाती है। क्युकी युनिव्हर्स हमे वही लौटा देता है जो हम अपने मन उत्पन्न करते है। क्युकी  युनीव्हर्स हमारी सोच पर चलता है। इसिलीए  तो दुःखी होने पर हम और दुःखी हो जाते है और सुखी होने पर हमे और सुख महसूस होता। सारा हमाराही किया धरा है जो हमे ही वापस मिलता। अगर हम अपनी सोच बदल दे तो हमारा युनिव्हर्स भी बदल जायेगा।

युनिव्हर्ससे बात कैसे करे 

 भावनाये युनिव्हर्ससे जुडने मे सहायक होती है। हम जो देखते है, सूनते है.. हमारे अंदर भावनाये उठती है और हम युनिव्हर्स के और करिब पहुंच जाते है। और युनिव्हर्स हमे वही भावनाये वापस लौटाता है। इसलिए हमे हमेशा याद रखना चाहीए की हम किसी बात पर क्या अनूभव कर रहे है। हमे जागरूक रहना चाहीए, हमे खुष रहना  चाहीए और युनिव्हर्स भी हमे खुषीही भेजेगा। 

युनीव्हर्स हम से बात करता है और हमारे सवाल का जवाब भी देता है

यह सच है की युनीव्हर्स हम से बात करता है। पर वह हमसे बात  सिर्फ  संकेतो, इशारो, भावनाओ के जरिये करता है। युनीव्हर्स को  अगर  हम से बात करनी हो तो वह बार बार हमे संकेत भेजेगा, बार बार किसी चीज की तरफ इशारा करेगा। अचानक किसी दिशा में इच्छा ना होने पर भी  जाना। अगर आसपास किसी को हमारी मदत की जरूरत है तो  युनीव्हर्स बार बार उस दिशा में जाने के लिये हमे कहता है। वह हमारी काबलीयत देखता है और उसीके आधार पर हमे चूनता है और जो बिना कोई तक्रार किये चुपचाप मेहनत करते रहते है जो अपने काम पर विश्वास करते है वह लोग युनीव्हर्स के बहोत पसंदीदा होते है। ऐसे लोगो की वह हमेशा मदत करता है और उन्हे वह सब कुछ देता है जो वह चाहते है।


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