Success kaise milti hai

   यह बड़ा ही गहरा विषय है और इसे गहराई से समझना पड़ेगा, क्युकी अगर आप इसके गहराई तक नहीं उतरोगे तो आप इसे समझ ही नहीं पाओगे। यह कोई एक दिन की बात नहीं होती...सालों लग जाते हैं इसे समझने में।    आप जो भी काम कर रहे है उसमें में महारत हासिल कर लेते हैं और उसे दुसरो से बेहतर करते हो, समझो बस यही आपकी success   है। एक सौ मिटर की दौड है, उसमें दौडने दस लोग हैं। सभी अच्छा दौड़ते हैं, तो फिर जीतेगा कौन..... सीधी सी बात है, जो बाकी नौ लोगों में बेहतर होगा वहीं जीतेगा। हम अक्सर success के पिछे भागते रहते हैं और success हमें अपने पिछे भगाती है, पर ये सब करने की बजाय हम खुद पर अगर ध्यान दें, खुद को बेहतर बनाने में मेहनत करें तो चीजें बतलती जायेंगी। Success उसके पिछे भागने वाले को नहीं बल्की खुद को साबित करने वालों को मिलती है।     आप जो भी काम करो उसमें खुद को ढाल लो, उसे इतना करो की जब भी आप मैदान में उतरो की कभी आपको पिछे देखना  ना पड़े। सफलता खुद आपको चुन लेगी। काम कोई भी हो आप अगर उसे दुसरो से बेहतर कर सकते हो मतलब आप उस काम में दुसरो के मुकाबले सफ...

हमारी खुशी हमारे हाथ में

   एक गाव में दीनू नाम का लडका रहता था। वह एक गरीब लडका था। अपने मा बाप के  साथ रहता था।  दिनू वैसे तो पढा लिखा था पर दूनियादारी की उसे जादा समझ नही थी । वह सब के साथ अच्छे से रहता पर जादा बात नहीं करता। उसे सब के बिच बोलने से डर लगता था। कोई उसे गलत ना बोल दे  इस चक्कर में वह सब की हा में हा मिला देता था। बडा ही सीधा साधा था वह। उसके मन में सबसे प्रती दया थी और सभी को वह एक जैसाही मानता था। पर यह दुनिया तो ऐसे नहीं थी। कई बार उसका मजाक उडाया जाता, उसका फायदा भी उठाया जाता। उसे बहोत बुरा लगता। वह सोचता की मैं तो सबके साथ अच्छेसे रहता हू, किसी का दिलं नहीं दुखाता, किसी का बुरा तक नहीं सोचता फिर लोग क्यू मेरे साथ इस तरीके का बर्ताव करते है। कई बार वह आत्मग्लानी में चला जाता।  वह लोगो से कटा कटासा रहता पर फिर उनके बिच चला जाता। उसके पास कोई चारा नहीं था। उसके साथ ऐसी घटनाये होती रहती थी। सब का भला करने पर भी उसे दुःख मिलता और ना करो तो उसका मन‌ उसे कचोटता की वह किसी की मदत कर सकता था फिर भी उसने क्यू नहीं की। वह इन सबसे बडा परेशान हो गया था। वह जिंदगी को ठीक से समजही नहीं पा रहा था। इस कारण हर काम में वह असफल हो रहा था और उपरसे वह अपनी परेशानी किसी को बता भी नहीं पाता जिससे कारण वह अकेला पडता गया। वह इसी उलझन में पडा रहता की, करे तो क्या करे। उसे एक ही चीज परेशान करती की वह इस दुनिया में जिये तो कैसे जिये। वह इस दुनिया में जिने के लायक नही क्युकी वह इस दुनिया के बिल्कुल विपरीत है। वह इस दुनिया में कभी ठीक से रह नहीं पायेगा इसिलीये उसे मर जाना चाहीए। पर यह उसका बस विचार भर होता था क्युकी उसके अंदर मरने की भी हिम्मत नहीं थी।  इसिलीए वह बडा परेशान था। 

     इसी विचारों के भंवर  में वह एक दिन जंगल में चला गया। वह अपने जिंदगी से उब चूका था। उसे अपना भविष्य दिखाई नही दे रहा था। वह बस चल रहा था की तभी  उसे एक पेड के निघे एक साधू बैठा दिखा।  साधूने दिनू को जाते हूं वे देखा तो उसको पास बुला लिया और उसे परेशान देख  पुछा क्या बात है बेटा क्यू इतने परेशान दिख रहे हो। दिनू बोला अब क्या बताऊं बाबा इस दुनिया में अब रहा नहीं जा रहा। ऐसा क्यू वह साधू ने  पुछा। यह दुनिया मुझे समझ में ही नहीं आ रही दिनू बोला। मैं अपने जिंदगी मे दुख ही भोग रहा हूं। मैं किसीका अच्छा  करता हूं तो मुझे दुख मिलता है और ना करूं तो भी दुख मिलता है। मैं कुछ बोल भी नही पाता, नाही कुछ कर पाता हूं। लोग मेरा मजाक उड़ाते है। मैं परेशान हो गया हू, मेरे सामने कोई लक्ष नहीं । भविष्य मुझे अंधकारमय लगता, आप ही बताओ मैं क्या करूं कैसे जिऊ। साधूने दिनू की तरफ देखा..तुम्हारी बातोंसे लगता तुम जिंदगीसे बड़े परेशान हो और तुम्हारी यह परेशानिया तुमने खुद ही पैदा की है। दिनू ने कहा मैंने कैसे अपनी परेशानियां पैदा की । साधू बोला, देखो तुम्हीं बोल रहे थे की लोग तुम्हारा मजाक उड़ाते हैं और तुम्हें उनसे दुख  मिलता है। मतलब तुम अपना सारा ध्यान उन लोगो पर लगा रहे अपनी तरफ तो तुम ध्यान ही नहीं दे रहो हों। जब तुम अपना सारा ध्यान दुसरो पर लगा कर रखोगे तो लोग जो कहेंगे उनका तुम्हें अच्छा बुरा तो लगेगा ही। पर अगर तुम अपना ध्यान खुद पर लगाओगे तो दुसरो की बातो का तुम पर कोई असर ही नही होगा। खुद का ध्यान रखोगे तभी तो तुम खुश रह पाओगे। जब तुम खुश रहोगे तो तुम्हें सारी दुनिया खुष नजर आयेंगी। अगर दुसरो पर केंद्रित रहोंगे तो तुम्हें दुसरे ही नजर आते रहेंगे और जब तुम खुद पर केंद्रित हो जाओगे तो तुम्हे तुम ही नजर आओगे... तुम्हारी खुशी नजर आयेंगी इसलिए खुदपर ध्यान दो लोगों पर नही। साधू की बातें दिनू के भी समझ में आ गई। वह समझ गया की उसने ही अपने दुख  को पैदा किया है और वहीं उसे भोग रहा है। उसने अब ठान लिया की लोगो पर ध्यान देना अब वह बंद कर देगा और खुद को और खुद की खुशी को जादा महत्व देगा। उसने साधू का शुक्रीया किया और घर चला आया। उस दिन के बाद दिनू हमेशा खुश रहने लगा। वह लोगों को उनकी बातों को नजर अंदाज करने लगा था।  लोग भी बडे हैरान थे उसका यह बर्ताव देख। 


सार :- अक्सर हम लोगों की बातो से बर्ताव से दुखी और परेशान होते। अपमानीत भी महसूस करते हैं क्युकी हमने ही उनको यह अधिकार दे रखा है । हमारी खुशी हमारे हाथ में है, हमें दुसरो पर ध्यान नहीं देना चाहीए। 

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