विकार क्या है... विकारों का हमारे जिंदगी में महत्व क्या...यह क्यु है हमारे जिंदगी में.. आइये इस पर चर्चा करते हैं।
जब हमारा जन्म होता है तो जन्म के साथ हमें कुछ चीजें मिलती जैसे की...शरीर, मन और दिमाग। इसके साथ और भी कुछ मिलता है और वह है विकार। हां विकार हमें जन्म के साथ ही मिलते हैं और उम्र बढ़ने के साथ वह भी बढ़ते रहते है। तो विकार है क्या,
काम
क्रोध
लोभ
मोह
द्वेष
मत्सर
यह सारे हमारे विकार है। असल में यह सभी हमारी मूल भावना ये है। मूल भावना का मतलब जो जन्म से हमें मिलती है और मृत्यु के साथ ही खत्म होती है। इसी से हमारा जिवन चलता है। ऐसा इस धरती पर हमें कोई नहीं जिसके अंदर विकार हमें ना मिले। यह हमारे विकास में अक्सर बाधक होती है और हमें जिंदगी में आगे बढ़ने से रोकते है। पर इनका हमारे जिंदगी में होने का मतलब क्या? लोग कहते हैं की हमें इन विकारों को नष्ट कर देना चाहीए। पर क्या सच में हम इनको नष्ट कर सकते हैं।
हम कभी भी अपने विकारों को नष्ट नहीं कर सकते। क्युकी वह हमारे साथ आये थे और हमारे साथ ही जायेंगे, पर हम उनपर विजय प्राप्त कर सकते है। उनको ठीक से जानकर, समझकर हम उनको कंट्रोल कर सकते।
विकार होते क्या है
विकार यह एक प्रवृत्ती है.....जैसे की किसी के अंदर क्रोध करने प्रवृत्ती बोहोत ज्यादा होती है, किसी के अंदर काम की प्रवृत्ती ज्यादा होती है, किसी को किसी चीज का लोभ होता है तो कोई किसी का द्वेष करता है। इंसान को पता ही नहीं की वह यह सब क्यु कर रहा है...बस वह कर रहा है। पर यही प्रवृत्ती जब हदसे ज्यादा बढ़ जाती है, तो इंसान परेशान हो जाता है। हर चीज की एक मात्रा होती है अगर वह मात्रा बढ़ जाये तो चीजें बिगड़ने लगती है और हमें उसके अंजाम भी भुगतने पडते है।
भगवान कहो, कुदरत कहो या युनीव्हर्स इन्होंने हमें सब कुछ तोल के दिया है। उनमें से हमें कितना उपयोग में लाना है और कितना छोड़ना है यह हमें तय करना है। काम, क्रोध, लोभ, मोह, द्वेष, मत्सर यह सब उसी ने हमारे अंदर डाल रखे हैं। इनके बिना हमारी जिंदगी नहीं चलती। मतलब सोच के देखीये की आप किसी पर क्रोध करते ही नही तो क्या होगा, आप में अगर लोभ ही ना हो तो, सोचो की आपके अंदर वासना ही ना हो तो कैसे चलेगा। आप आगे ही नही बढ़ सकोगे। कुछ पाने की ईच्छा ना हो तो हम कुछ पा नहीं सकते। युनीव्हर्स ने हमें सबकुछ सोच-समझकर दिया... उसे यह दुनिया चलानी है और उसके लिए इंसान के अंदर ईच्छा होनी जरूरी है, क्युकी ईच्छासे ही इस दुनिया का विकास होता है और ईच्छा विकारों से ही उत्पन्न होती है।
विकार सबके अंदर होते हैं और सभी उसके शिकार होते हैं। पर वह हमारे अच्छे के लिए भी इस्तेमाल होते हैं इसपर कोई ध्यान नहीं देता। जैसे की काम भावना, अगर हम इस भावना को उपर उठाने की कोशिश करें तो हमारा विकास बड़ी तेजीसे हो सकता है पर अफसोस की हम काम भावना का मतलब सेक्स समझते हैं, वहीं हम जानते है और उसी के लिए इस्तेमाल करते हे और अपने अंदर उठी इस ऊर्जा को नष्ट कर देते हैं। वास्तव में काम ऊर्जा बहुत प्रबल ऊर्जा होती अगर हम इसे निचे की जगह उपर उठाये तो ऊर्जा का बहाव आपके अंदर ऐसा बहेगा की आप अपने लक्ष को आसानी से पार कर लोगे। आप वहीं व्याकुलता वही जुनून अपने काम के प्रती महसूस करोंगे जो काम ऊर्जा के निचे बहने पर आप सेक्स के प्रती महसूस करते हो।
कोई चीज गलत नहीं होती, बस हमें उसका इस्तेमाल करना नहीं आता। हम अगर हद से ज्यादा खाने लगे तो क्या होगा, हमारा शरीर उसका नुकसान झेलेगा। वैसे ही अगर हम वासाना, क्रोध, लोभ हदसे ज्यादा करें तो उसका अंजाम हमें ही भुगतना पड़ेगा। इसलिए हमे हर चीज का सही इस्तेमाल करना आना होंगा तभी हम बॅलन्स जिवन जी सकेंगे। हर चीज का एक वक्त पे अपना महत्व होता है, पर उसी वक्त उसका इस्तेमाल होना चाहिए तभी वह चीज काम करेगी। बे वजह क्रोध करने का मतलब क्या? और बे वजह लोभ करने का मतलब क्या? जब चीजें हमारे हाथ से जा चूकी हो।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें