- 0 यह सवाल कई बार पुछा जाता हैं, क्या सच में law of atraction काम करता है।
हम अक्सर सवालों के जवाब जानना चाहते हैं, पर कुछ सवालों के जवाब तो अनूभवो से ही दिये जा सकते हैं, क्युकी सुनी सुनाई बातें हमे दिलासा तो दे सकती है पर वह हमारा समाधान नहीं कर सकतीं। जिस भी चीज पर जीतना हमारा अनूभव ज्यादा होंगा उतना हम उसपर बात कर सकते हैं।
Law of atraction पर कितनी ही किताबें और you tube पर ढेर सारे video हमें मिल जायेंगे पर वह तो सुनी सुनाई बातें हैं। उन्हें हम परखे कैसे..जाने कैसे की वह सच है। क्या इसमें हमारा कोई अनुभव है जो हमे बता सके की हां यह सच है और यह काम करता है। चलो फिर मैं इस पर अपना ही खुदका एक छोटा-सा अनूभव बताना चाहूंगा।
Law of atraction
यह तब की बात है जब मैंने law of atraction के बारे में नया नया सुना था और मैं उसे आजमाने की कोशिश कर रहा था। सभी कहते थे की युनीव्हर्स से कुछ भी मांगों वह दे देगा। मेरे मन में भी तब यहीं सवाल था क्या सच में यह काम करता है। मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था की मै यह कैसे करूं क्युकी मैंने तब इसके बारे में बस सुना था और इसके बारे में ठीक से जानता भी नहीं था। मैं जांचना चाहता था। तो मैंने एक काम किया और युनीव्हर्स ऐसे ही दस रू मांग लिए। मैंने कहा की युनीव्हर्स आज मुझे बिना मेहनत के दस रू दे-दे।
मजा आ गया
मैंने जब यह कहा तो उस वक्त मैं बाहर था और घर आ रहा था। घर आने के बाद मैंने देखा की मेरा छोटा भाई कुछ सामान लाने दुकान जा रहा है। मेरा चीप्स खाने का मन हुआ और मैंने भाई को बिस रू देकर दस दस के दो चीप्स के पॅकेट लाने को कहा। वह चला गया और मैं टीव्ही देखने बैठ गया। थोड़ी देर बाद मेरा भाई दुकान से वापस आया और उसने चीप्स के दो पॅकेट मुझे दे दिए। उसमें से एक मैंने अपने पास रख लिया और एक उसे दे दिया।
मैंने युनीव्हर्स से दस रू मांगे यह बात मैं भुल चुका था। और आराम से टीव्ही देखते हुए चीप्स खा रहा था। तभी पॅकेट के अंदर मेरे हाथ को कुछ लगा। मैंने उस चीज को बाहर निकाला, वह एक पॅक की हुई छोटी-सी डिब्बी थी। मैंने उस डिब्बी को तोड दिया और चमत्कार हो गया। पता है उस मे क्या था...दस रू.....बड़ा ही मजेदार पल था वह मेरे लिए...मैंने जब पॅकेट देखा तो उस पर लिखा हुवा था दस रू. गीफ्ट। उस दिन मैंने जाना कि law of atraction सच मे काम करता है। हम जो भी मांगे युनीव्हर्स हमें देता है, पर वह कैसे और किस रूप मे देगा यह हम नहीं जानते।
मुझे दस रू. देना युनीव्हर्स के लिए कोई बड़ी बात नहीं थी। वह मेरे आस-पास ही कहीं थे। युनीव्हर्स को तो बस वह मुझ तक पहुंचाने थे, पर यही चीज अगर हम बड़े लेवल पर मांगे तो क्या वह इतनी ही जल्दी हमें मिलेगी...उत्तर है, नही। युनीव्हर्स हमें कुछ भी दे सकता है, पर क्या हम उस चीज को संभालने के लिए सक्षम है। कुछ चीजों के लिए वक्त लगता है, क्युकी उस चीज को क्रियेट करना पड़ता है, वह तयार नहीं होती।
युनीव्हर्स से जब भी हम कुछ मांगते हैं, युनीव्हर्स पहले हमें उसके लिए तयार करता है, ताकी हम उस चीज को संभालने में सक्षम रहे... वर्ना देने के उसके पास कई रास्ते हैं। अगर हम उससे ढेर सारा पैसा मांगे तो वह दे तो देगा पर वह पैसा रूकेगा नहीं क्युकी हम उस पैसो को संभालने के लायक नहीं होते। जैसे के, बिहार के एक टीचर सुशील कुमार कौन बनेगा करोडपती से पाच करोड़ जीते और रातों-रात करोड़पती बने पर उसके बाद क्या हुआ पैसों का सही मॅनेजमेंट ना होने के कारण और शराब, सिगरेट की लत लगने कारण फिर से वह कंगाल बन कर उसी जगह पर आगये।
Read more:- Universe humpe najar rakh rahaa hai
युनीव्हर्स हमें हमेशा सही चीजे देना चाहता है, उसके लिए पहले वह हमे एक काबील इंसान बनाना चाहता है। इसलिए वह हमारी परिक्षाये भी खुब लेता है और जो उसकी परिक्षा में पास होता है उसे वह सब कुछ देता है जो हमने मांगा भी नहीं। बस हमें सब्र रखना है, चीजों को क्रीयेट होने देना है ताकी युनीव्हर्स हम तक उसे पहुंचा सके। हमें बस अनूशासन के साथ काम करना है।
बस विश्वास के साथ आगे बढ़ते रहे। हमारा विश्वास ही हमे वहां तक पहुचायेगा जिसकी हमने कल्पना की है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें