संदेश

Success kaise milti hai

   यह बड़ा ही गहरा विषय है और इसे गहराई से समझना पड़ेगा, क्युकी अगर आप इसके गहराई तक नहीं उतरोगे तो आप इसे समझ ही नहीं पाओगे। यह कोई एक दिन की बात नहीं होती...सालों लग जाते हैं इसे समझने में।    आप जो भी काम कर रहे है उसमें में महारत हासिल कर लेते हैं और उसे दुसरो से बेहतर करते हो, समझो बस यही आपकी success   है। एक सौ मिटर की दौड है, उसमें दौडने दस लोग हैं। सभी अच्छा दौड़ते हैं, तो फिर जीतेगा कौन..... सीधी सी बात है, जो बाकी नौ लोगों में बेहतर होगा वहीं जीतेगा। हम अक्सर success के पिछे भागते रहते हैं और success हमें अपने पिछे भगाती है, पर ये सब करने की बजाय हम खुद पर अगर ध्यान दें, खुद को बेहतर बनाने में मेहनत करें तो चीजें बतलती जायेंगी। Success उसके पिछे भागने वाले को नहीं बल्की खुद को साबित करने वालों को मिलती है।     आप जो भी काम करो उसमें खुद को ढाल लो, उसे इतना करो की जब भी आप मैदान में उतरो की कभी आपको पिछे देखना  ना पड़े। सफलता खुद आपको चुन लेगी। काम कोई भी हो आप अगर उसे दुसरो से बेहतर कर सकते हो मतलब आप उस काम में दुसरो के मुकाबले सफ...

विकार

विकार क्या है... विकारों का हमारे जिंदगी में महत्व क्या...यह क्यु है हमारे जिंदगी में.. आइये  इस पर चर्चा करते हैं।     जब हमारा जन्म होता है तो जन्म के साथ हमें कुछ चीजें मिलती जैसे की...शरीर, मन और दिमाग। इसके साथ और भी कुछ मिलता है और वह है विकार। हां विकार हमें जन्म के साथ ही मिलते हैं और उम्र बढ़ने के साथ वह भी बढ़ते रहते है। तो विकार है क्या, काम क्रोध लोभ मोह द्वेष  मत्सर     यह सारे हमारे विकार है। असल में यह सभी हमारी मूल भावना ये है। मूल भावना का मतलब जो जन्म से हमें मिलती है और मृत्यु के साथ ही खत्म होती है। इसी से हमारा जिवन चलता है। ऐसा इस धरती पर हमें कोई नहीं जिसके अंदर विकार हमें ना मिले। यह हमारे विकास में अक्सर बाधक होती है और हमें जिंदगी में आगे बढ़ने से रोकते है।  पर इनका हमारे जिंदगी में होने का मतलब क्या? लोग कहते हैं की हमें इन विकारों को नष्ट कर देना चाहीए। पर क्या सच में हम इनको नष्ट कर सकते हैं।      हम कभी भी अपने विकारों को नष्ट नहीं कर सकते। क्युकी वह हमारे साथ आये थे और हमारे साथ ही जायेंगे, पर हम उनपर ...

Sakaratmak drishtikon

   सकारात्मक दृष्टीकोण क्या है और क्यू यह इतना जरूरी है चलो इस पर चर्चा करते हैं।     देखो एक इंसान होता है वह कुछ करना चाहता है और करना शुरू भी कर देता है पर जैसे ही वह आगे बढ़ता हैं उसके मन में प्रश्न उठने शुरु होते हैं क्या वह कर पायेंगा, शंकाएं उत्पन्न होती है यह होंगा के नहीं होगा, होंगा तो कब तक होंगा। यह उस इंसान के अंदर की नकारात्मकता होती है जो कई सारी उलझनें उस इंसान के अंदर पैदा करती हैं, वह इंसान को भटकाती हैं जिसके कारण उसे काम करने में मुश्किलें आतीं हैं और जो भी काम वह हाथ में लेता हैं उसे आख़िर तक लें जाना उसे बडा मुश्किल होता है। वहीं एक ऐसा इंसान होता है जो काम को हाथ में लेता हैं और बिना किसी शंका के, बिना किसी प्रश्न के कर देता हैं... हां प्रश्न तो उसके सामने भी आते हैं पर वह उस पर ध्यान नहीं देता उसके लिए काम करना जरूरी है ना की उसके बारे मे सोचते रहना । वह पुरी तरीक़े से सकारात्मक होता है उसे खुद पर विश्वास होता है जिसके बल पर वह बडे से बडा काम भी कर लेता है।      हमारे अंदर बहुत शक्ती है, बहुत क्षमता है पर हम कभी उसका सही इस्तेमा...

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हमारे अंदर की प्रतिभा

हर किसी के अंदर कुछ तो प्रतिभा होती ही है। बस उसका विकास हमें करना होता है। बहोत से लोगोंको लगता है की उनके अंदर ऐसा कुछ भी नहीं जो वह कर सके पर ऐसा नही है..हमारे अंदर कुछ तो प्रतिभा जरूर छुपी होती है जिसपर हम ध्यान नहीं देते..किसी की आवाज अच्छी होती है, कोई बांसुरी अच्छा बजाता है, कोई कविताये अच्छा कर लेता है, तो कोई चित्र अच्छा निकाल लेता है। हर छोटी से छोटी बात जो हम दुसरो से बेहतर कर सकते हैं वह हमारी प्रतिभा होती है। पर हम उसपर ज्यादा ध्यान नहीं देते नाही उसका विकास करते है, या सोचते हैं की यह तो आम सी बात है, इससे क्या होगा। पर प्रतिभा प्रतिभा होती है। वह छोटी बड़ी नहीं होती पर हम उस पर मेहनत करें, उसे विकसित करें तो हम उसे बड़े लेवल पर लेजा सकते हैं। कुछ लोग अपने अंदर की इन बातों के लिए इतने जुनूनी होते हैं की उसके लिए कुछ भी करने के लिए तयार रहते है और आगे चलकर वह उस क्षेत्र में बड़ा नाम भी कमा लेते हैं।      अमीताभ बच्चन, शाहरूख खान अमीर खान यह अभिनय क्षेत्र की नामी हस्तीया है। अभिनय तो ओर भी करते है पर यह उनसे इतने बडे कैसे बन गये। सचिन तेंदुलकर, विराट कोह...

हमारी खुशी हमारे हाथ में

   एक गाव में दीनू नाम का लडका रहता था। वह एक गरीब लडका था। अपने मा बाप के  साथ रहता था।  दिनू वैसे तो पढा लिखा था पर दूनियादारी की उसे जादा समझ नही थी । वह सब के साथ अच्छे से रहता पर जादा बात नहीं करता। उसे सब के बिच बोलने से डर लगता था। कोई उसे गलत ना बोल दे  इस चक्कर में वह सब की हा में हा मिला देता था। बडा ही सीधा साधा था वह। उसके मन में सबसे प्रती दया थी और सभी को वह एक जैसाही मानता था। पर यह दुनिया तो ऐसे नहीं थी। कई बार उसका मजाक उडाया जाता, उसका फायदा भी उठाया जाता। उसे बहोत बुरा लगता। वह सोचता की मैं तो सबके साथ अच्छेसे रहता हू, किसी का दिलं नहीं दुखाता, किसी का बुरा तक नहीं सोचता फिर लोग क्यू मेरे साथ इस तरीके का बर्ताव करते है। कई बार वह आत्मग्लानी में चला जाता।  वह लोगो से कटा कटासा रहता पर फिर उनके बिच चला जाता। उसके पास कोई चारा नहीं था। उसके साथ ऐसी घटनाये होती रहती थी। सब का भला करने पर भी उसे दुःख मिलता और ना करो तो उसका मन‌ उसे कचोटता की वह किसी की मदत कर सकता था फिर भी उसने क्यू नहीं की। वह इन सबसे बडा परेशान हो गया था। वह जिंदगी को ठीक स...

युनीव्हर्स हम से बात करता है

 युनिव्हर्स हमपे नजर रख रहा है यह सच है युनिव्हर्स हमपे लगातार नजर खरे हुवे है । उसने हमे बनाया और हमारे अंदर वह सारी चीजे दी जिससे की हम अपनी जिंदगी अच्छेसे जी सके  और फीर हमे इस दुनीया में छोड दिया। अब वह देखना चाहता है की हम क्या करते है, विपरीत परिस्थीयो में कीस तरीके से बर्ताव करते है । वह जानना चाहता है । उसने हमे जो भी दिया उसका इस्तेमाल  हम किसी तरीके से करते हैं । वास्तव में कुछ ही लोग होते जो यह सब समझ पाते।और वह बडे जिद्दी किसम के होते है। वह कभी हार नहीं मानते नाही परिस्थितीयो के सामने झुकते है। उन्हे बस जो  करना होता वह कर देते है। युनिव्हर्स को ऐसे लोग बहोत पसंद होते  है क्युकी वे बहाने नहीं बनाते । इनके पास गजब की क्षमता होती है चीजो को समझने की।   https://awaken0mind.blogspot.com/2025/02/blog-post_19.html सब हमारी सोच पर निर्भर हैं  युनिव्हर्स हमे वही देता जैसी हमारी सोच होती। अगर सोच ही अच्छी नहीं तो युनिव्हर्स हमे अच्छा नहीं देगा। वह हमे वही देता है जो हमारे मन में होता और यनिव्हर्स हम से मनसेही तो बात करता है। हमारे मन में कितनी...

बुरा वक्त

 बुरा वक्त बुरा वक्त ना बता कर आता है और नाही बता कर जाता है। पर यह जब भी आता है तो यह दुःख, परेशानिया साथ लेकरं आता है और जब जाता है तो हमे कुछ सिखाकर जाता। यह वक्त बडा कठीण लगता है पर अगर इस वक्त में कुछ करे, कुछ सिखे तो हम कंपनी कुछ परेशानिया कम कर सकते है। तो हमे क्या करना चाहीये। शांत रहना शांत रहना सबसे अच्छा होता है। बुरे वक्त में अक्सर हमे अडचने आती रही है। एक जाती नही की दुसरी आती है क्योकी वह वक्त ही ऐसा होता है जब हमारे बनते काम भी बिगड जाते है। ऐसे में हम परेशान हो सकते हैं और गलतीया कर सकते है। जिससे परिस्थीतीया  बिगड सकती है और भी बुरा हो सकता है । इसलिए हमे शांत रहना होगा और अपने आपको मोटीव्हेट करते रहना होगा। क्यो की हम जो भी करेंगे उससे हमे कई बार असफलता मिल सकती है। इसिलीए शांत रहकर हम चीजो को समझ  सकते है और हताशा से दुर रह सकते है।  अच्छे चीजो में समय बिताये हमेशा कुछ अच्छा करने की कोशीश करे, अच्छे चीजो में अपना समय बिताये, अच्छी आदते लगायें जिससे भविष्य में फायदा हो। खूदको बेहतर मनाने की कोशीश करे। बुरे वक्त में खुद को कोसे नही। खुद को प्यार करे,...

मन क्या है

  मन एक मानसिक अवस्था है जो विचारों, भावनाओं, इच्छाओं, और अनुभवों को नियंत्रित करता है। यह हमारे चेतन और अचेतन दोनों पहलुओं का सम्मिलन है, जो हमारे व्यवहार, निर्णय, और प्रतिक्रियाओं को प्रभावित करते हैं। मन हमारे शरीर के किसी विशेष अंग से जुड़ा हुआ नहीं है, बल्कि यह एक मानसिक या मानसिक-आध्यात्मिक अवस्था है, जो हमें अनुभव करने, सोचने, समझने और महसूस करने की क्षमता प्रदान करती है। मन को कई अलग-अलग तरीकों से देखा जा सकता है - एक बौद्धिक उपकरण, भावनाओं का स्रोत, या आत्मिक और मानसिक संतुलन की स्थिति। इसके द्वारा हम अपने आसपास की दुनिया को समझने की कोशिश करते हैं और अपनी भावनाओं, चिंताओं और विचारों को अनुभव करते हैं। मन का स्वभाव न का स्वभाव बहुत ही जटिल और परिवर्तनशील होता है। यह किसी एक निश्चित रूप में नहीं रहता, बल्कि यह समय-समय पर बदलता रहता है। मन के स्वभाव को निम्नलिखित पहलुओं से समझा जा सकता है: चंचलता (Instability): मन का स्वभाव चंचल होता है, यानी यह एक जगह नहीं ठहरता। यह एक विचार से दूसरे विचार की ओर भागता रहता है, और यह कभी शांत नहीं रहता। भावनाओं का उतार-चढ़ाव (Emotion...